गुरुवार, 28 जुलाई 2011

पहले खिलाफ में खबरें दिखाओ, फिर विज्ञापन पाओ !

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तप्रदेश में 2012 में विधानसभा चुनाव है और इसकी प्रारंभिक तैयारियां राजनीतिक पार्टियों द्वारा शुरू कर दी गई हैं। मगर दूसरी ओर सूबे में बढ़ते अपराध के कारण मायावती सरकार कटघरे में खड़ी है। मीडिया में भी पिछले कुछ महीनों से उत्तप्रदेश छाया हुआ है, चाहे वह चुनाव की बात हो या फिर कोई अपराध की। उत्तरप्रदेश में किसानों की समस्याएं चरम पर हैं और महिलाओं पर उत्पीड़न व बलात्कार की घटनाएं भी आए दिन घट रही है, लेकिन सरकार कहती है कि प्रदेश में हालात बिगड़े नहीं है, बल्कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में इससे भी ज्यादा अपराध होते थे। इसके लिए कुछ मीडिया हाउसों के माध्यम से आंकड़े भी छापकर सरकार को जनता की अदालत से बरी बताया जा रहा है, जो सरासर गलत है। यही सरकार है, जिसने प्रदेश की जनता से 2007 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि अपराधमुक्त राज्य की परिकल्पना पहली प्राथमिकता होगी। साथ ही महिलाओं पर बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाया जाएगा, किन्तु सरकार के सभी दावे खोखले साबित हुए। जिन बातों की दुहाई देकर मायावती सरकार ने सत्ता हथियाई, उसके बाद वह सभी वायदे भूलती नजर आई। अब जब आगामी कुछ महीनों में उत्तप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, उसके बाद प्रदेश की मायावती सरकार जाग गई है, लेकिन सरकार की मुसीबत कम नहीं हो रही है और उसकी कई तरह से फजीहत भी हो रही है। मीडिया भी सरकार के खिलाफ खड़ा नजर आ रहा है और विपक्षी पार्टी भी जैसे-तैसे मुद्दे पाकर उसे भुनाने की कोशिश में लग गई है।
अब बात उत्तरप्रदेश सरकार के मीडिया मैनेजमेंट की कर लें। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से मीडिया में मायावती सरकार के खिलाफ लगातार खबरें आ रही थीं। इसमें एक कदम आगे बढ़कर ‘स्टार न्यूज’ खबरें प्रसारित कर रहा था, उत्तरप्रदेश से जुड़ी हर खबरों को सरकार की खिंचाई करते दिखाया जा रहा था। चाहे वह किसी महिला से बलात्कार की घटना हो या फिर कोई कत्ल का मामला हो। किसानों की समस्याओं को भी ‘स्टार न्यूज’ ने बेहतर कव्हरेज दिया। साथ ही सीएमओ हत्या मामले को अपने स्तर पर ‘स्टार न्यूज’ हर एंगल से कव्हरेज दिया, या कहें कि मायावती सरकार को घेरने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखा। देखिए, किसी खबर को प्रसारित करना एक मीडिया हाउस व किसी पत्रकार का धर्म है, मगर जब उसमें सरकार की केवल खिंचाई की सोच हो तो फिर क्या कहा जा सकता है ?
इसे इस बात से जाना जा सकता है कि पिछले दिनों उत्तरप्रदेश में ‘स्टार न्यूज’ का प्रसारण सरकार द्वारा केबल पर बंद करा दिया गया थ, क्योंकि सरकार के खिलाफ चैनल पूरी तरह जहर उगल रहा था। ऐसे में भला कैसे कोई सरकार चाहेगी कि उसकी खिंचाई होती रहे और वह देखती रहे। चैनल ने राहुल गांधी की यात्रा को पुरजोर से दिखाया। साथ ही मायावती सरकार को किसानों के हितों को दरकिनार कर काम करने वाली बताया, मायावती सरकार को। ऐसे कई खबरें हैं, जिसे स्टार न्यूज से बेहतर समय दिया। हालांकि, खबरें प्रसारित करना चैनल का निजी मामला हो सकता है, मगर यह बात भी समझ आती है कि आखिर कोई चैनल बार-बार किसी सरकार के खिलाफ खबरें क्यों दिखाता है ? जाहिर सी बात है कि सरकार से कुछ तो खटपट रहता है।
दिलचस्प बात यह है कि बीते कुछ दिनों से ‘स्टार न्यूज’ में उत्तरप्रदेश सरकार के खिलाफ खबरें दिखाने के बाद चैनल को जनसंपर्क विभाग से विज्ञापन जारी हो गया है, वह भी कई मिनटों का। इस विज्ञापन में उत्तरप्रदेश की मायावती सरकार के कार्यों के गुणगान करते तैयार किया गया है। प्रदेश में तमाम अपराधिक घटनाओं के बाद भी सरकार को विकासान्मुख सरकार निरूपित किया गया है। स्टार न्यूज में उत्तप्रदेश सरकार की विकास गाथा को विज्ञापन के तौर पर प्रसारित किया जा रहा है। इसमें कोई शक नहीं है, चैनल प्रबंधन को विज्ञापन के तौर पर मोटी रकम भी मिली होगी।
यहां हमारा यही कहना है कि ‘स्टार न्यूज’ ने खबरों की प्रस्तुति में निश्चित ही कई अन्य चैनलों को अनेक अवसरों को पीछे छोड़ा है। उसके कंटेट भी बेहतर होता है, मगर उत्तरप्रदेश की मायावती सरकार की बखिया उधेड़ने के बाद अब इसी चैनल पर ‘माया गाथा’ सुनाई जा रही है। ऐसे में कई तरह के सवाल उठना स्वाभाविक है। अब विज्ञापन प्रसारित होने के बाद क्या स्टार न्यूज का वही तेवर मायावती सरकार के खिलाफ बना रहेगा ? यह तो आने वाला कल ही बताएगा, मगर दर्शकों के बीच स्टार न्यूज की शाख पर बट्टा जरूर लगा है। इसमें कहीं कोई शक नहीं है।
मैं भी इस चैनल का दर्शक हूं और इसके कई कार्यक्रमों का कायल हूं, मगर उत्तरप्रदेश सरकार के गुणगान के मामले में यह चैनल दर्शकों की अदालत में कटघरे में है। ये तो वही हो गया कि पहले दम मारकर खिलाफ में खबरें दिखाओ, फिर विज्ञापन पाओ !

( बतौर दर्शक मेरी प्रतिक्रिया )




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