बुधवार, 13 जुलाई 2011

परत-दर-परत फर्जीवाड़ा ?

छत्तीसगढ़ में पर्चा लीक होने के कारण पिछले महीने दूसरी बार आयोजित की गई प्री-पीएमटी परीक्षा के फर्जीवाड़े की जांच में खुलासे पर खुलासे होते जा रहे हैं। राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फर्जीवाड़े की जांच के लिए सीआईडी को जिम्मेदारी दी है और करीब एक माह से जारी जांच में अब तक कई अहम राज सामने आए हैं। जांच में जो खुलासा जांच में हुआ है, उससे किसी की भी नींद उड़ना स्वाभाविक लगता है। दरअसल, पीएमटी फर्जीवाड़े के मामले की जांच कर रही सीआईडी को व्यावसायिक परीक्षा मंडल ( व्यापमं ) द्वारा पिछले बरसों में आयोजित परीक्षाओं में गड़बड़झाले के तार जुड़े होने का सबूत मिलने की खबर मीडिया में आ रही है। ऐसे में समझा जा सकता है कि व्यापमं की साख पर किस तरह बट्टा लग रहा है, साथ ही एक बड़ा गिरोह कई सालों से प्रदेश में किस तरह सक्रिय रहा होगा ? जिनके द्वारा गहरी पैठ जमाकर राज्य की शिक्षा व्यवस्था को तार-तार करने की सुनियोजित रणनीति बनाई गई रही होगी ? शिक्षा में ऐसी करतूत की उजागर होने के बाद व्यापमं की परीक्षा व्यवस्था की पोल परत-दर-परत खुल रही हैं और जाहिर सी बात है कि इतने बरसों से हो रहे फर्जीवाड़े में महज कोई गिरोह सक्रिय नहीं रहा होगा, बल्कि इन्हें शह देने निश्चित ही प्रदेश में कोई न कोई, विभीषण रहा होगा, जिन्होंने पूरे सिस्टम को चरमराने में सहयोग दिया होगा ? हालांकि, यह सब तो जांच में खुलासा होगा, मगर इतने बड़े फर्जीवाड़े को सहज ही अंजाम नहीं दिया जा सकता है ? यह भी विचारणीय पहलू है।
छग के बिलासपुर जिले के तखतपुर में जब पीएमटी फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ, उसके बाद प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर उंगली उठनी शुरू हो गई। छत्तीसगढ़ में वैसे तो फर्जीवाड़े की लंबी दास्तान है। विकास के नए सोपान गढ़ रहे इस राज्य के लिए फर्जीवाड़ा, पहचान बनता जा रहा है, क्योंकि यहां शिक्षा क्षेत्र में एक गड़बड़झाले को लोग भूले नहीं रहते, उससे एक काली करतूत उजागर हो जाती है। छग राज्य लोक सेवा आयोग अर्थात पीएससी जैसी परीक्षा में जिस प्रदेश में गफलत हो जाए, वहां अन्य फिर कोई अन्य फर्जीवाड़ा कहीं नहीं ठहरता, क्योंकि पीएससी की परीक्षा प्रणाली की अपनी साख है और यह भी किसी से नहीं छिपी है कि छग पीएससी की परीक्षा में जिस तरह गड़बड़ी उजागर हुई है, वैसी स्थिति देश के किसी अन्य राज्यों की पीएससी में सामने नहीं आई है। आलम यह है कि यहां की परीक्षा व्यवस्था से छात्राओं का विश्वास उठता जा रहा है और मेहनती व प्रतिभावान छात्रों का भविष्य ही तबाह हो रहा है, क्योंकि वे एक-एक पल, परीक्षा के लिए देते हैं और परीक्षा के बुखार में साल भर तपते रहते हैं, मगर जिस तरह कोई दूसरा, रसूख व पैसे के दम पर परीक्षा प्रणाली को अंगूठा दिखाने में कामयाब हो जाता है, वह प्रदेश व देश के भविष्य निर्माण के लिए ठीक नहीं है ? यह माना जाता है कि जब नींव ही कमजोर होगी तो निश्चित ही उसका धरातल पर टिकना मुश्किल है। फर्जीवाड़े कर पिछले दरवाजे से एंट्री करने वाले जब तंत्र में रहेंगे, उस तंत्र का कैसे मटियामेट होगा, यह सीधे तौर पर समझा जा सकता है। ऐसा तंत्र न तो देश के लिए ठीक हो सकता है, न ही समाज के लिए। इस बात को सरकार को समझना चाहिए और सख्ती के साथ ऐसे गिरोह से निपटने नीति बनानी चाहिए।
छग में हुए पीएमटी फर्जीवाड़े की जांच सतत हो रही है और व्यापमं द्वारा जहां 17 जुलाई को तीसरी बार परीक्षा लेने की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है, वहीं यह भी चर्चा कायम है कि फर्जीवाड़े के लिए एक गिरोह फिर सक्रिय है ? ऐसी बात पुलिस जांच में मीडिया के माध्यम से सामने आ रही है। ऐसे में अभी से सवाल खड़ा हो गया है कि कहीं इस बार फिर पर्चा लीक न हो जाए ? और यदि परीक्षा जैसे-तैसे निपट भी जाए तो क्या गारंटी कि फर्जीवाड़े का गिरोह अपने कारनामे करने पर उतारू नहीं होगा ? पुलिस जांच में कई तरह से व्यापमं की परीक्षा पर उंगलियां उठी हैं। सरकार द्वारा कुछ अधिकारियों को व्यापमं से हटाकर अपना हाथ जलने से बचने की कोशिश की गई है, किन्तु यह नाकाफी है, क्योंकि फर्जीवाड़े का कलंक, सरकार को भी कटघरे में खड़ा करता है ? दूसरी ओर सीआईडी जांच में व्यापमं के अफसर भी लपेटे में आते नजर आ रहे हैं, इससे भी चर्चा का बाजार गर्म होना स्वाभाविक है। हालांकि, पीएमटी फर्जीवाड़े मामले में अभी किसी बड़े अफसर को आरोपी नहीं बनाया गया है। साथ ही अभी पुलिस के लंबे हाथ भी उन छात्रों तक नहीं पहुंचा है, जो तखतपुर में पर्चा हल करते पकड़ाए थे। पर्चा लीक मामले में ऐसे छात्रों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है ? यह भी सवाल लोगों के जेहन में है। पुलिस ने फर्जीवाड़ा गिरोह के आरोपियों को गिरफ्तार किया है, मगर मुख्य आरोपी फरार बताया जा रहा है। इसके इतर, पीएमटी के फर्जीवाड़े में तो मेडिकल कॉलेज रायपुर के दर्जनों छात्र, शक के दायरे में आ गए हैं और उनसे पूछताछ भी की गई है।
पीएमटी परीक्षा में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद यह बात सामने आई है कि एक-एक छात्रों ने लाखों रूपये में सौदा किया था, इसमें निश्चित ही इन छात्रों के अभिभावकों की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि बेरोजगार छात्र, भला कहां से लाखों रूपये ला पाते ?
मजेदार बात यह है कि सीआईडी की जांच, जैसी-जैसी आगे बढ़ती जा रही है, दिलचस्प खुलासे भी होते जा रहे हैं। साथ ही छग व्यापमं की परीक्षा व्यवस्था, बरसों से कैसे चरमराई हुई है, उसकी मोटी परत भी घिस-घिस पतली होती जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि पीएमटी फर्जीवाड़े की जांच में अभी कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं ? सीआईडी की जांच में यह भी पता चला है कि शिक्षाकर्मी, पटवारी समेत अन्य परीक्षाओं में भी गिरोह सक्रिय रहा है और इसमें भी फर्जीवाड़े की बात कही जा रही है, यदि यह बात पुख्ता तौर पर सामने आ जाएगा, उसके बाद तो यही कहा जा सकता है कि ऐसे परीक्षा लेने का महत्वपूर्ण दायित्व रखने वाले ‘व्यापमं’ को ही खत्म कर देना चाहिए, क्योंकि भ्रष्ट परीक्षा तंत्र का भला किसे जरूरत हो सकती है ?
छत्तीसगढ़ में परीक्षा व फर्जीवाड़े की दस्तूर आखिर कब रूकेगा, इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है ? लोगों के मन में यह सवाल इसलिए कायम है कि क्योंकि राज्य बनने के इन दस बरसों में परीक्षा संबंधी कई गड़बड़झाले उजागर हुए हैं, जिनमें से एक है, बारहवीं व दसवीं की मेरिट सूची में फर्जीवाड़ा। इस मामले के खुलासे के बाद तो शिक्षा मंडल की परीक्षा प्रणाली ही शर्मशार होती नजर आई। उसके बाद भी छग का फर्जीवाड़ा से नाता नहीं टूट पाया है। अब देखना होगा, आखिर कब, छग इस दाग को धो पाएगा और कलंक को मिटा पाएगा ? इसके लिए निश्चित ही सरकार को शिक्षा में व्यापक नीति बनाने की जरूरत है।

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