शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

टेढ़ी नजर

1. समारू - एक-एक कर मंत्रियों पर गाज गिर रही है।
पहारू - हां, अब उनके भाग्य में जेल की रोटी लिखी है।


2. समारू - सुप्रीम कोर्ट के सख्त फैसलों से सरकारों की नींदे उड़ गई हैं।
पहारू - अब सरकारें कहां रह गई हैं, वो तो कठपुतली बनकर रह गई है।


3. समारू - राहुल बाबा, किसानों के दर्द को समझने निकले हैं।
पहारू - मगर यूपीए-2 के दर्द का मर्ज भी तो ढूंढना चाहिए।


4. समारू - सरकार, माओवादियों से वार्ता की तैयारी कर रही है।
पहारू - वार्ता के अलाप बरसों से जारी है, मगर धेला भर बात बने तो।


5. समारू - छग सरकार पढ़े-लिखे एसपीओ को काम पर लगाएगी।
पहारू - सरकार को क्या लगता है, अनपढ़ एसपीओ, आलू ही छिल सकते हैं।

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