शनिवार, 29 अगस्त 2009

कांग्रेस की युवा शक्ति को मिली संजीवनी

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गाँधी के पिछले दिनों हुए छत्तीसगढ़ दौरे कई लिहाज से काफी अहम् रहे। उनके लोकसभा चुनाव के बाद यह छत्तीसगढ़ का पहला दौरा था। इस बार वे किसी प्रचार में नहीं निकले थे, बल्कि प्रदेश के कांग्रेस युवा शक्ति को जोड़ने आए थे। उनके इस दौरे से बजन सी पड़ी कांग्रेस की युवा शक्ति में जान आ गई है। युवा संसद राहुल गाँधी के दौरे से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस युवा शक्ति को जैसी संजीवनी मिल गई है।

राहुल बाबा के दौरे से युवक कांग्रेस व एन एस यु आई के कार्यकर्ताओं में उर्जा का संचार हो गया है। राहुल कार्यक्रम में जिस ढंग से युवाओं में उत्साह देखा गया। इसे कांग्रेश की युवा शक्ति की बढती ताकत ही कही जा सकती है।

विधानसभा चुनाव के पहले राहुल गाँधी का टैलेंट हंट चला था, जिसमें कुछ कर गुजरने वाले कार्यकर्ताओं को चुन्हंकित किया। इस बार के उनके यात्रा में वे युवा शक्ति को जोड़ने का प्रयास किया और उन्होंने इसके लिए यूनिवर्सिटी के कैम्पस को चुना। वे जानते हैं की उनके विचारों को कहाँ से नई उड़ान हासिल हो सकती है। राहुल गाँधी ने अपने दो दिवसीय कार्यक्रम में पूरी तरह युवा शक्ति को जागृत करने वाली बातों को फोकस किए।

इस बार उन्होंने प्रदेश प्रभारी होने के नाते एन एस यु आई में नए व उर्जावान चेहरों को सामने लाने नया प्रयोग शुरू किया है। इस बार चलाये जा रहे उनके सदस्यता अभियान में ऐसे युवाओं को ही सदस्यता दी जा रही है, जो कॉलेज में पढ़ते हैं। कुल-मिलाकर राहुल बाबा की सोच ऐसी युवा शक्ति का निर्माण करने का है, जो देश की खोखली हो राजनीती को अपनी ओजस्वी कार्यों से भर सके। उन्होंने यह बात भी कही है की युवा शक्ति ही देश में नया परिवर्तन ला सकता है।

राहुल गाँधी का छत्तीसगढ़ में बिताये दो दिन कांग्रेस की नींव कही जाने वाली एन एस यूं आई को नए सिरे से जीवित करने में अहम् भूमिका निभाई है। कल तक एक भी इनकी गधिविधि देखने को नहीं मिलती थी। अब ये राहुल बाबा के बातों को समझ गए हैं और लग गए हैं, युवाओं की नै ब्रिगेड बनाने।

भले ही राहुल गांघी का विधानसभा व लोकसभा के चुनाव में जादू न चला हो, लेकिन इस बार के उनकी छत्तीसगढ़ दौरे को कमतर नहीं आँका जा सकता। उन्होंने बातों-बातों में कांग्रेस की गुटबाजी को दोनों चुनाव में हार का कारन बताते हुए वरिष्ट नेताओं को एका करने की सम्झायिस भी दे दिए। प्रेस कांफ्रेंस में भी वे छत्तीसगढ़ में लगातार कांग्रेस की हार का ठीकरा वरिस्ट नेताओं के सर फोड़ा। इस बात को नेताओं ने स्वीकार भी। लेकिन क्या प्रदेश में सांप नेवले की तरह गुटबाजी की दुश्मनी रखने वाले कांग्रेसी, क्या रहू गाँधी की बातों पर सबक ले पाएंगे। यदि ऐसा होता है तो फिर राहुल का जादू ही कहा जा सकता है।

फिलहाल सामने में नगरीय चुनाव है। यहाँ भी कांग्रेस की गुटबाजी हावी रही तो समझ जाईये, इस पार्टी का कोई भला होने वाला नहीं है।

समय रहते कांग्रेसियों को संभलना होगा। नहीं तो जनता सब जानती व समझती है और फिर बाहर का रास्ता दिखा सकती है।

सोमवार, 24 अगस्त 2009

नहीं उतर रहा स्वाईन फ्लू का बुखार

दुनिया में इन दिनों जिस ढंग से लोंगों में स्वाईन फ्लू का बुखार चढा है। इसका प्रभाव भारत में भी देखने को मिल रहा है। देश में स्वाईन फ्लू से लोगों के मरने का आंकडा अब तक ५७ बताया जा रहा है। इस संक्रामक बीमारी को लेकर मीडिया ने जिस ढंग से हाय-तौबा मचाया है, इससे लोग और ज्यादा दहशत में हैं। ऐसा नहीं है की मीडिया की भूमिका लोगों को जागरूक करने में नहीं है, लेकिन स्वाईन फ्लू को लेकर जो बात परोसी जा रही है। इसे किसी भी सूरत में ठीक नहीं कहा जा सकता है।
विश्व स्वास्थय संगठन ने दुनिया के सभी देशों को आगाह किया है। किसी भी बीमारी को लेकर सरकार सतर्क रहनी चाहिए, किंतु ऐसा भी न हो की इसका नकारात्मक असर लोगों में हो। इन दिनों स्वाईन फ्लू को लेकर लोगों में कुछ ऐसी ही स्थिति है। बेवजह लोग डरे सहमें हैं और मुंह को इस ढंग से धक् कर रह रहें की उनके ख़ुद के घर वाले ही उन्हें पहचान नहीं पा रहे हैं।
स्वाईन फ्लू को लेकर यह बात भी विशेषज्ञों स्पष्ट किए हैं हैं की यह संक्रामक बीमारी तापमान कम होने की स्थिति में ज्यादा फैलता है। भारत में वैसे ही तेज तापमान होता है। यहाँ बहुत कम ही स्थान है, जहाँ तापमान कम है। लद्दाख जैसे स्थान में ही तापमान शुन्य से भी कम होता है। देश के अन्य स्थानों में बहुत ही कम देखने को मिलता है। तो ऐसे में गर्म जलवायु होने से देश में इस बीमारी के फैलने की संभावना ही कम नजर आती है। ऐसे में जिस ढंग से स्वाईं फ्लू को लेकर खलभली मची है और समाज का हर वो तबका परेशां है की आखिरकार इस बीमारी से कैसे बचा जा सकता है।
जहाँ देश में स्वाईं फ्लू से लोग अपने को बचने हर वो तरकीब खोज रहे हैं। ऐसे में कुछ लोग भी हैं, जिनकी मानवता मर गई है और इस संक्रामक बीमारी से निपटने में लोगों का हर सम्भव सहयोग करना चाहिए। इस बीच उन्हें अपनी दुकानदारी की फिक्र है और बीमारी से बचने चेहरे पर लगाने वाला मास्क को भी बाजार में नकली उतर दिए हैं। इस नकली मास्क से वे कमाई करने से नहीं चूक रहे हैं। उन्हें लोगों से कोई हमदर्दी नही हैं, उन्हें तो बस दुकानदारी की चिंता है।
बात यहाँ संक्रामक बीमारी स्वाईं फ्लू की है। देश हर दिन लोग दूसरी अन्य बिमारियों से रोज हजारों की संख्या में मर रहे है। इसकी फिक्र किसी को नही है। लोगों ने जो देखा उससे अमल करना शुरू कर दिया। गौर करने वाली बात है की स्वाईं फ्लू का लक्षण माने जाने वाला निमोनिया से देश में ही हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग मर जाते हैं। इसके आलावा कई संक्रामक बीमारी से लोग असमय ही काल के गाल में समां जाते हैं। दूसरी ओर सड़क दुर्घटना में ही रोज सैकडों लोगों की मौत हो जाती है। यह सब होता है, लोगों के यातायात नियमों से अनजान होने से। ऐसे में लोगों को यातायात संबधी जागरूकता लाकर इन दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है। ठीक इसी प्रकार स्वाईं फ्लू बीमारी से लोगों में जागरूकता लाकर इससे बचा जा सकता है।
स्वाईं फ्लू से पुणे व मुंबई को ज्यादा प्रभावित बताया जा रहा है और वहां से आने वाले लोग पहले अस्पताल चेक एप के लिए पहुँच रहे हैं। यह भी देखने में आ रहा है की जो लोग पुणे व मुंबई क्षेत्र से आ रहे हैं, उनसे लोग दूर भाग रहे हैं। बीमारी से सुरक्षा जरुरी है, लेकिन किसी को स्वाईं फ्लू होने की पुस्ती नहीं हुई है तो लोगों का यह रवैया समझ से परे है।
देश भर में एक माह से स्वाईं फ्लू का बुखार चढा है। यह उतरने का नाम नहीं ले रहा है। आख़िर इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। लोगों में ऐसी परिस्थिति से लड़ने सरकार को प्रोत्साहित करना चाहिए।
भगवान् से हमारी कामना है की यह बीमारी को देश ही नहीं वरन दुनिया से खत्म कर दे और लोगों में इसकी व्याप्त दहशत खत्म हो।

गुरुवार, 6 अगस्त 2009

नक्सली बंद करे कायराना हरकत

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने जिस ढंग से तांडव मचा रखा है। इससे सरकार भी बेबस नजर आ रही है। नक्सली बार-बार निर्दोष का खून बहाने से बाज नहीं आ रहे हैं। जिस ढंग से वे लगातार कायराना हरका कर रहे हैं। इसे मानवता की दृष्टी से कदापि ठीक नहीं कहा जा सकता। जून में नक्सलियों ने करतूत किया, वह मानवता को शर्मशार करने वाला रहा। प्रदेश के अब तक इतिहास में पहली बार नक्सलियों इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया, जिसमें पुलिस कप्तान भी शहीद हो गए। इस दौरान तीन दर्जन पुलिसकर्मियों ने अपनी प्राण की आहुति दे दी। इस घटना के बाद नक्सलियों का हौसला इतना बढ़ गया की वे बीते एक सप्ताह को शहीद सप्ताह घोषित कर दिए और शुरू कर दिए खून से होली खेलना। चार दिन पहले ही कई पुलिस कर्मियों को नक्सलियों ने मार दिया। बावजूद सरकार का रूख अब तक समझ नहीं आ सकी है। अभी मंत्री, नेता कुछ फिन जैसे विधानसभा सत्र में व्यस्त थे। इसके बाद वे माउन्ट आबू के भ्रमण में है। प्रदेश में नक्सली समस्या आग की तरह सुलग रही है और निर्दोष लोंगों की जान जा रही है। सरकार नक्सली समस्या को मिटाने के बजाय फोर्स की कमी बताकर अपनी ख़ुद की कमियों को उजागर कर रहे हैं। नक्सली समस्या से वह क्षेत्र और ज्यादा प्रभावित है, जहाँ विकास की किरने नहीं पहुँच सकी है। नक्सली समस्या आज प्रदेश की एक बड़ी समस्या है। जब कहीं हमला होता है, तो उस आग में पूरा प्रदेश दहलता है। नक्सली आख़िर कायराना हरकत कर जाताना क्या चाहते हैं, यह समझ से परे है। वे केवल आंतंक फैला कर लोंगों को भयभीत करना चाहते हैं। हालाँकि उन नक्सलियों को पता नहीं हैं की ऐसे जवानों के कंधे पर सुरक्षा का भर है, जो अपनी की बाजी लगा देते हैं और लोंगों की जान सुरक्षित रहती है। आख़िर नक्सलियों का यह आंतंक कब तक चलता रहेगा और बीहडों में रहने वाले लोंगों का क्या होगा। उनका विकास कैसे हिगा, यह सोचने वाला कोई नहीं है। इस बारे में चिंतन की जरुरत है।