गुरुवार, 28 जुलाई 2011

एक मौत, दिन भर खबर !

देखिए, देश व प्रदेश में हर दिन न जानें कितनी मौत होती हैं, कितने ही कत्ल होते हैं और असमय ही काल-कवलित हो जाते हैं, मगर जब किसी इलेक्ट्रानिक चैनल का नजरिया एक ही मौत पर टिक जाए तो फिर इसे क्या कहा जा सकता है। क्या चैनल के पास दर्शकों को दिखाने के लिए खबर नहीं है ? क्या उनमें एक मौत पर ही खबर कंटेट दिखता है, तभी राजधानी रायपुर में एक महिला की हत्या के मामले को ऐसा तूल दिया जाता रहा, जैसे कभी राजधानी में कभी हत्या हुई ही न हों। कोई भी दर्शक दिन भर एक ही खबर देखना नहीं चाहता, यदि वह किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की हत्या तो बात अलग नजर आती है, लेकिन चैनल अपनी मर्जी से दर्शकों को खबरें थोपने लगे तो फिर यह चैनल प्रबंधन की ओछी मानसिकता ही कही जा सकती है। यह नहीं कहा जा सकता है, किसी की मौत, मौत नहीं होती, किन्तु सवाल यही है कि क्या अन्य मौत पर चैनल इतना हो-हल्ला मचाता है ? इस खबर को महत इसलिए दिन भर दिखाया जाता रहा, क्योंकि उस चैनल ने इस खबर को सबसे पहले दिखाना शुरू किया था।
दरअसल, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सड्डू इलाके में एक महिला की हत्या मंगलवार को कर दी गई थी। इसके बाद पुलिस जांच में जुटी थी। एक कॉलोनी में हत्या की खबर को चैनल ने पूरे सिर पर उठा लिया और मंगलवार को आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने तथा कॉलोनी के हालात की खबरें दिखाता रहा, उसके बाद बुधवार को सुबह से ही खबरें चैनल पर छाई रहीं। बाद में दो आरोपियों की गिरफ्तारी की सूचना आने के बाद तो इस खबर पर यह चैनल टूट पड़ा।
कहने का मतलब यही है कि चैनल के पास कोई और खबरें नहीं थीं या फिर राजधानी रायपुर में महीनों-सालों बाद किसी की हत्या हुई है ? ऐसे कई सवाल हैं, जो किसी दर्शक के मन में आता है, क्योंकि दर्शक तो चैनल में एक ही खबर देखना नहीं चाहता। खबरों को दर्शकों पर थोपना व अपनी मर्जी से एक ही खबर बार-बार दिखाया जाना कहां तक सही है ? एक दर्शक के नाते तो यह लफ्फाजी नजर आती है।

बतौर दर्शक मेरी प्रतिक्रिया -

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