शुक्रवार, 29 मई 2009
छत्तीसगढ़ की ये कैसी उपेक्षा
छत्तीसगढ़ की उपेक्षा से जनता हतप्रद हैं। प्रदेश में यूपीए गठबंधन को महज एक सिट मिलने का सिला दिया जा रहा हैं। २००४ के चुनाव में भी छत्तीसगढ़ से यूपीए को एक सिट ही .मिली थी। इस बार के भी पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेश को केवल कोरबा की एक सिट मिली है। पिछली सरकार में भी छत्तीसगढ़ से एक भी मंत्री शामिल नहीं किए गए थे। इस बार भी कुछ इसी तरह का हाल है। जनता ने प्रदेश में भाजपा सरकार के कार्यों को पसंद किया और उन्हें पिछली बार की तरह ११ सीटों में जीत दिला दी। प्रदेश की जनता को समझ में नहीं आ रही है की आख़िर छत्तीसगढ़ की इतनी उपेक्षा क्यों। देश के कई राज्यों से आधा दर्जन मंत्री सरकार में बनाये गए हैं। कई राज्यों से एक ही संसद होने के बाद भी उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान दिया दिया गया है। ऐसे में छत्तीसगढ़ की यह कैसी उपेक्षा यह बात लोंगों के गला नहीं उतर रहा है। आख़िर क्यों छत्तीसगढ़ को केन्द्र सरकार के यूपीए गठबंधन के मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिल रहा है। पिछली बार भी कुछ इसी तरह की हालत थी। 14 लोकसभा के चुनाव में महासमुंद से केवल अजीत जोगी जीते थे। इस दौरान भी जनता में आस जगी थी की प्रदेश से मंत्री बनाये जायेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ जबकि भाजपा की जब केन्द्र में एनडीए गठबंधन की सरकार थी तो उस दौरान प्रदेश से दो राज्य मंत्री बनाये गए थे। इसमें दिलीप सिंह व रमेश बीस शामिल थे। छत्तीसगढ़ की जनता इसी बात को देख रही है की कांग्रेश की यूपीए सरकार द्वारा प्रदेश के प्रति कितनी बेरुखी पण अपना रही है। जनता चाहती है सरकार किसी की बने विकास हो। शायद इस बात को कांगेश नहीं समझ रही है और यही उपेक्षा के चलते पिछले कई चुनाव में मुंह की खानी पड़ी है। बावजूद कांग्रेश के केंद्रीय नेतृत्व को समझ नही आ रहा है। लगातार हार से सबक लेने की जरुरत है।
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