शनिवार, 16 मई 2009
हैवानियत की पराकाष्ठा
उस समय मेरा दिल दहल गया जब मुझे पता चला की एक व्यक्ति ने हैवानियत की had ही पार कर दी है। उस व्यक्ति ने महज छः साल की बच्ची से दुराचार किया बलात्कार क्या होता है। उस मासूम को क्या पता उस व्यक्ति की हैवानियत ने मानवीयता को शर्मशार कर दिया janjgir champa jile के सकती क्षेत्र में एक ऐसा ही mamla samne आया जिसे सुनकर हर किसी का दिल दहल गया। आज लोगों में दुश्प्रवित्ति इतनी बढ़ गई है की जो करने उसकी आत्मा भी गवाही न दे उस कार्य को कर जा रहे हैं । लोग कहते हैं की वे आधुनिक युग में जी रहें हैं लेकिन वे क्या भूल जाते हैं की भारत एक संस्कारित देश है यहाँ की mati में janma हो jana ही हमारे लिए garva की बात है। इस mati ने कई mahapurushon को janma दिया है। jinhon समाज sudhar में yogdan दिया उस समाज में mahilaon व बच्चों के utthan के कई कार्य । आज yuvaon में जिस dhang से naitik पतन हो रहा है वह समाज के लिए chinta की बात है। हैवानियत की पराकाष्ठा की जो बातें samne aai है वह किसी भी स्थिति में समाज के लिए hitkar नहीं है prachin समय से ही समाज में uchcha sthan प्राप्त है उसे नहीं bhulna चाहिए। जिस तरह अभी mahilayon पर अत्याचार हो रहे रहे हैं यह समाज को ग़लत disha में ले जा रहा है पिछले कुछ समय से दुराचार की gathnaon में vridhi हुई है जिस पर समाज sudharkon को dhayan दिए jane की जरुरत है ऐसा लगता जैसे longon में हैवानियत jag उठी है यही karan है की अब उनकी नजर mamumon पर टिक गई है यदि यही hal रहा to स्थिति bigdati देर नहीं lagegi। संस्कारित shiksha दिए jane की जरुरत है। तभी कुछ bhala हो सकता है.
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