भारत देश को कभी सोने की चिडिया कहा जाता था आज नेताओं की ओछी राजनीति से भारत विकसित राष्ट्र अब तक नहीं बन सका है। भारत को विकाशशील देश का दर्जा दिया जाता है जबकि भारत में हर वो काबलियत है। जिससे भारत विश्व गुरु कहलाता है। भारत ने शून्य की खोज की जिससे सभी की गणित चल रही ही भारत को विकाशशील राष्ट्र की श्रेणी में रखा गया है इसका एक यह है की यहाँ की जमा पूँजी को सफेद पाशों ने विदेशों की बैंकों के लाकर में रखे हैं। ऐसे में भारत विकास कैसे हो यह समझा जा सकता है क्योंकि भारत की समृधि तो विदेशों में फल फूल रहा है। विदेशी बैंकों में जमा कला धान वापस आ जाए तो देखा जा सकता है की देश का विकास को पर लग जायेंगे लेकिन ऐसा हो कैसे। यह
एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है देश की जनता को ही विदेशों में जमा कला धन को वापस लाने एकजुट होना होगा। तभी इस दिशा में कुछ हो सकता है
एक तरफ भारत के नेताओं द्वारा यहाँ के पैसे को विदेशों में चोरी छुपे रखा जाता है और आपात स्थिति में भारत को ही विदेशों से उधर लेना पड़ता है इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है देश में जमे ऐसे सफेदपोशों की पहचान जरुरी है। साथ ही विदेशों में जमा काला धन को भी वापस लाना । । देश की गरीब जनता के पेट की रोटी छिनकर विदेशों में पैसे जमा करने वाले ऐसे लोगों की आत्मा क्या मर गई है। देश में एक बड़ी आबादी को दोनों समय रोटी पाने एडी चोटी एक करनी पड़ती है क्या सफेद पाशों को इस बात फिक्र नहीं है। गरीबों के हक़ पर वे अपना हक़ जमा ले रहे हैं विदेशों में काला धन होने दे इसका असर भारतीय अर्थ व्यवथा पर पड़ रहा है अभी संपन्न हुए चुनाव में काला धन वापस लेन को लेकर काफी राजनीती हुई हलाँकि जनता इस बात को समझ रही है इक्किश्वी सदी में लोगों में काफी जागरूकता आई है। भले ही इसका प्रतिक्रिया तत्काल न मिले लेकिन जनता चुप बैठकर भी सब कह व कर जाती है विदेशों में जमा काला धन के मामले में जनता को ही आगे आना होगा क्योंकि नेता तो अपनी ढपली अपना राग अलापेंगे ऐसे में मुख्या दायित्व जनता का ही बनता है की वे ऐसे ग़लत कार्यों पर अंकुश लगाने तत्पर हो।
मंगलवार, 19 मई 2009
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