बुधवार, 29 जुलाई 2009

...आख़िर किसकी मिलकियत

बदलते समय के साथ लोगों की मानसिकता में भी फर्क नजर आने लगी है। आज छोटी सी बात पर भी लोगों में जिस ढंग से उग्रता देखी जा रही है। इसे समाज हित में बेहतर नहीं मन जा सकता। अब लोग अपने अधिकारों को लाकर जिस रह को अपना रहे हैं, इससे समाज का भला होने वाला नहीं है। लोगों को इस बारे में मनन करने की जरुरत है, वहीं शासन के नुमयिन्दों को भी ऐसी स्थिति नहीं आनी नहीं देनी चाहिए।
पिछले दिनों उत्तरप्रदेश में एक ओछी बयान कांग्रेश की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती रिता बहुगुणा जोशी द्वारा प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती के खिलाफ जरी किया था। इस बयान की तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। लेकिन जिस ढंग से बाद में कार्यकर्ताओं ने हरकत की। इसे भी किसी स्तर से ठीक नहीं कहा जा सकता। क्योंकि श्रीमती जोशी के घर को आग लगाने के बाद उत्तरप्रदेश में उत्पात मचाना ग़लत है। इससे जनता ही तो परेशां हुई है, जिनकी सेवा की बात को लाकर लोग राजनीती में आते हैं, वे पद मिलते ही इन बातों से कोई मतलब नहीं रखता। कार्यकर्ताओं ने बयान के बाद खूब तोड़फोड़ की। आख़िर वह किसकी मिलकियत है।
यह कोई एक मामला नहीं है। ऐसे मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। लोग सरकारी संपत्ति, हमारी संपत्ति के अर्थ को ग़लत तरीके से लेते हैं और यही कारन है की बिना सोचे समझे तोड़ फोड़ पर उतारू हो जाते हैं। उन्हें सोचना चाहिए की वे किसका नुकसान कर रहे हैं। देश के विकास में हम सब का भागीदारी होना चाहिए। इसके लिए हमें ऐसे कृत्यों से दूर रहना चाहिए।
कोई भी घटना घटने के बाद प्रभावित परिवार के प्रति सबकी संवेदना होती है, लेकिन क्या तोड़फोड़ करक्या यहाँ रास्ता बचता है।
यह एक यक्ष प्रश्न हम भारत के नागरिकों के समक्ष खड़ा है। इस पहलु को भूलकर हमें ग़लत राह में नहीं जन चाहिए।
देश के विकास में सहभागी बनें, न की बर्बादी में। is sabak ko yaad karna jaruri hai.

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