रविवार, 19 जुलाई 2009

नेताओं के कैसे-कैसे बेतुका बयान

ऐसा लगता है, जैसे नेताओं का जुबान फिसलने के लिए ही बनी है। चुनाव के दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता है। इस समय तो हर कोई एक दूसरे पर छींटा-कशी करने से नहीं चुकते, लेकिन ऐसे कोई नेता सुर्खियों में रहने के लिए बेतुका बयानबाजी करने से बाज नहीं आते। नेताओं द्वारा बेतुका बयां देने की बात कोई नई नहीं है।
एक बार फिर बेतुका बयान सामने आया है। जिसे सुनकर हर कोई अचरज में पड़ गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलामनबी आजाद ने जनसँख्या नियंत्रण के लिए कुछ बेतुका बयान जरी किया है। उनका कहना था की बिजली रहेगी तो जनसँख्या पर नियंत्रण हो सकता है। लोग देर रत टीवी देखेंगे तो दे से सोयेंगे और लोंगों का यंहन खूब मनोरंजन हो जाएगा। ऐसे में वे जा कर सो जायेंगे और जनसँख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है। नबी आजाद साहब को ऐसा कहते सोचना चाहिए था की कई राज्य हैं जन्हाँ बिजली की कमी है फिर भी जनसँख्या पर नियंत्रण कर लिए हैं। यह सब हुआ है, सिक्षा के प्रसार से, लोंगों में जागरूकता आने से।
नबी आजाद साहब क्या कभी छत्तीसगढ़ नहीं आए। प्रदेश में सर प्लस बिजली है, बावजूद जनसँख्या हर वर्ष हजारों में बढ़ ही रहा है। बिजली रहने से जनसँख्या पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता, यह केवल शिक्षा के प्रसार तथा जनजागरूकता से ही सम्भव है। जनसँख्या पर रोक लगाने कई लोकलुभावन योजनायें चल रहीं हैं, बावजूद हर वर्ष देश में लाखों में जनसँख्या में वृद्धि हो रही है।
आजाद साहब जनसँख्या नियंत्रण के बारे में सोंच रहे हैं। यह अच्छी बात है, लेकिन केवल बयानों से इस दिशा में कुछ नही हो सकता। देश में पहले जनसँख्या बढ़ाने के लिए जद्दोजहद हुई, अब इस पर नियंत्रण के माथापच्ची हो रही है। यह सही बात है की बढती जनसँख्या देश के विकास के लिए चिंता की बात तो है। इस बारे में हम सब को सोचना चाहिए। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है।

...बच्चे पैदे करते हैं सरकार
छत्तीसगढ़ में एक वर्ष पहले तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री अजय चंद्राकर ने समारोह में बेतुका बयान दिया था जिसकी प्रदेश सहित देश के शिक्षा विदों ने भत्सर्ना की थी। यहाँ उनहोंने कहा था की सरकार बच्चे पैदा नहीं करती, की उनके लिए गुणात्मक शिक्षा की व्यवस्था कर सके। जब यह बयान मीडिया में आया तो, यहाँ उनको शिक्षा विडी ने अपने लेख के मध्यम से सीधे शब्दों में कहा- सरकार भले ही बच्चे पैदा न करे, लेकिन बच्चे जरुर सरकार पैदा करते हैं। कुल-मिलाकर आज राजनीती कितनी ओछी हो गई है, इससे ही पता चलता हैं। नेता कुछ भी बयान दे रहें है, वे समाज में इसका क्या संदेश जाएगा। इस बारे में नहीं सोचते।

उत्तरप्रदेश में आया भूचाल...
उत्तरप्रदेश की कांगेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी द्वारा जिस ढंग से मायावती पर बयानबाजी की गई। इससे भी वहां राजनितिक सरगर्मी बढ़ गई। बसपा के कार्यकर्ताओं ने बयानबाजी को लेकर बहुगुणा के घर पर आग लगा दी। साथ ही प्रदेश में खूब हंगामा किया। इसके बाद रही-सही कसर कांग्रेश के कार्यकर्ताओं ने पूरी कर दी। इस बिच किसी आम जनता के हितों का ख्याल न रहा। इस माहौल में जनता ने कितनी परेशानी झेली। इस बारे में में सोचने वाले कोई नहीं दिखे। क्या यही वह राजनीती है, जिसकी कल्पना देश के अमर सपूतों की थी।
बय्यांबजी का दौर राजनीती में आए दिन की बात है, लेकिन इससे किसी का व्यक्तिगत जिन्दगी पर छीटा कशी हो। इससे नेताओं को बचना चाहिए। बयानबाजी से देश का विकास नहीं हो सकता। इस बात को नेताओं को समझाना होगा। तभी देश में शान्ति स्थापित हो सकती है। नहीं तो यही चलता रहेगा और आम जनता इससे पिसती रहेगी।

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