आँध्रप्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा पाठ्यक्रम में अन्धविश्वाश विरोधी पाठ शामिल कर इसे स्कूलों में पढाये जाने kअ सराहनीय निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास को लेकर लोगों को ज्यादा जागरूक किए जाने की जरुरत है। ऐसे में आँध्रप्रदेश की तर्ज पर यहाँ भी कुछ इसी तरह के निर्णय लेने की आवश्यकता है।
छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास की जड़ को खत्म करने कानून भी बना है। लेकिन यह कारगर साबित होता दिखाई नहीं दे रहा है। २००५ से टोनही प्रताड़ना कानून लागु किया गया है। इससे कुछ हद तक लोगों के सीधे प्रताड़ना पर विराम तो लगा, लेकिन जिस लिहाज से इस कानून से अंधविश्वास को खत्म करने शासन की मंशा थी, वह पूरी नहीं हो सकी है।
छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास की जड़ें वर्षों से गहरी जमीं हैं। इसके चलते कई बार बड़ी वारदात भी सामने आती रहती हैं। कई बार निजी स्वार्थ के लिए बलि प्रथा भी सामने आ चुका है। लोग आधुनिक युग में जीने की बात करते हैं, लेकिन वे अंधविश्वास के साये से दूर नहीं हो पाए हैं। शहरी क्षेत्रो में स्थिति थोडी ठीक है, लेकिन गावों में अंधविश्वास की जड़ें गहरी हैं। ऐसा नहीं है की इसे दूर नहीं किया जा सकता। शिक्षा के विकास ने अंधविश्वास को दूर करने अहम् भूमिका निभाया है। बावजूद अंधविश्वास आज भी कायम है। इसके लिए लोंगों को जागरूक करना ज्यादा जरुरी है। केवल कानून बनाने से अंधविश्वास को ख़त्म नहीं किया जा सकता। इसके लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है।
आँध्रप्रदेश की सरकार ने शिक्षा पाठ्यक्रम में अंधविश्वास विरोधी पाठ शामिल करने का जो निर्णय लिया है, वह काबिले तारीफ है। शिक्षा से ही अंधविश्वास को खत्म किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए। प्रदेश में अंधविश्वास के मामले सामने आते रहते हैं। कुछ महीनों पहले रायपुर जिले के कसडोल ब्लाक के एक गाँव में सती होने का मामला सामने आया था। मीडिया ने इस बात को जिस ढंग से पेश किया, इससे अंधविश्वास को और बल मिला। सती हिने वाली महिला के परिवार के सदस्यों क्या कसूर, जो उन्हें इस मामले में घसीटा जा रहा है। गाँव में हुए इस घटना को अंधविश्वास के रंग देने वाले ग्रामीण सहित अन्य लोंगों पर कोई करवाई नहीं हुई। क्या ऐसे में ही अंधविश्वास को खत्म किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी और प्रकरण सामने आ चुके हैं।
आख़िर ऐसे अंधविश्वास के मामलों को रोकने ठोस पहल क्यों नहीं करती। यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है। आँध्रप्रदेश सरकार की तरह राज्य सरकार को भी सकात्मक सोंच लेकर कार्य करना होगा। तभी अंधविश्वास की बुनियाद मिटाई जा सकेगी।
सोमवार, 13 जुलाई 2009
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