छत्तीसगढ़ के राजनांदग्राम में हुए नक्सली हमले ने एक बार फिर प्रदेश सहित देश वासियों को हिला कर रख दिया है। छत्तीसगढ़ में हुए अब तक का यह सबसे बड़ा नक्सली हमला है। अब तो हद ही हो है। अब वो समय आ गया है, की आर-पार की लडाई जरुरी हो गई है। क्षेत्र के मानपुर व सीता ग्राम में जिस ढंग से नक्सलियों ने कहर बरपाया है। इसने इंसानियत की सारी हदें पर कर दिया है।
१२ जुलाई को हुए नक्सली हमले में जिले का प्रमुख पुलिस अधिकारी एसपी सहित तीन दर्जन से अधिक लोग सहीद हो गए। दिन भर ज्यादा समय तक चले मुठभेड़ में जवानों ने धरती माँ का कर्ज चुका दिया। इस नक्सली हमले को छत्तीसगढ़ बनने के नौ वर्षों में सबसे बड़ी घटना मानी जा रही है। इस हमले ने प्रदेश ही नहीं पुरे देश वासियों को रुला दिया है। बीते इन नौ वर्षों में सैकडों जवानों ने अपनी प्राण न्योछावर की है। आख़िर कब तक नक्सलियों का यह खुनी खेल चलता रहेगा। प्रदेश में अब नक्सलियों से आर - पार की लडाई लड़ने का समय आ गया है। नक्सलियों के राज के तांडव पर अब विराम लगना जरुरी हो गया है। राज्य सरकार को नक्सलियों पर लगाम लगाने सख्त कदम उठाना होगा। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाने किसी प्रकार की राजनीती नहीं होना चाहिए। प्रदेश के सभी नेताओं व जनता को एक मंच पर आकर नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोलना होगा। इसके लिए केन्द्र सरकार को भी पर्यत सुरक्षा बल भी देना चाहिए। नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में तबाही मचा रखा है और रोज बेकसूरों की जान लेने से नहीं चूक रहे है। ऐसी गतिविधियों पर सभी को मिलकर लडाई लड़नी होगी। तभी प्रदेश ही नहीं, वरन देश के अन्य राज्यों से भी इस गंभीर बीमारी से निजात पाई जा सकती है। आज की स्थिति में नक्सली कैंसर की बीमारी से भी बड़ी समस्या बनकर प्रदेश व देश में बनकर उभरी है।
छत्तीसगढ़ में कुछ महीने पहले भी पुलिस के उच्च पदस्थ अधिकारी पर भी हमला नक्सलियों ने किया था। इस दौरान कई जवान शहीद भी हुए थे। घटना में वह अधिकारी गोली लगने के बाद कई महीनों तक मौत से लडाई करते रहे। इस घटना ने भी लोंगों झकझोर कर रख दिया था। इस समय राजनीती फिर खूब हुई, लेकिन नक्सलियों की सफाया को लेकर कुछ खास नीतियाँ नहीं बने जा सकी। एक के बाद एक हो रही नक्सली हमले के बाद भी कड़े कदम नहीं उठाया जाना, समझ से परे लगता है। समाज में नक्सली खुनी संघर्ष कर क्या संदेश देना चाहते हैं, समझ से परे लगता है। नक्सलियों की आख़िर यहीं मंशा है की वे बेकशुरों की जान लेते रहे।
इधर एक बार फिर नक्सलियों ने राज नांद गौण ग्राम में हमला कर साबित कर दिया की वे अमन व शान्ति नहीं चाहते। वे प्रदेश में आतंक तथा दहशत फैलाना चाहते हैं। लेकिन वे भूल गए हैं की भारत माता के ऐसे सपूत भी इस धरती पर जन्म लिए हैं, जो उनके मनसूबे को कभी पूरा होने नहीं देंगे। पुलिस के जिले का प्रमुख अधिकारी सहित तीन दर्जन से अधिक जवान शहीद हुयें हैं। उनका लहूँ बेकार नहीं जाएगा, इसके लिए नक्सलियों जैसा का तैसा जवाब देना होगा। अब वह समय आ गया है, की नक्सलियों के नामों निशान मिटाने व्यापक रणनीति के तहत काम हो। सरकार को भी अब नक्सलियों के खात्मे के लिए सरे अधिकार सेना के जवानों दे देना चाहिए। तभी यह हिंशा का दौर थम पायेगा।
हमले में शहीद एसपी व जवानों के बलिदान को छत्तीसगढ़ वासी कभी नहीं भूलेंगे, उनकी शहादत को प्रणाम.
रविवार, 12 जुलाई 2009
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1 टिप्पणी:
अब ये एक बड़ा धंदा बन चुका है जिसमे इन्सान कि कोई कद्र नहीं है . हजारों करोड़ का धंदा
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