गुरुवार, 6 अगस्त 2009

नक्सली बंद करे कायराना हरकत

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने जिस ढंग से तांडव मचा रखा है। इससे सरकार भी बेबस नजर आ रही है। नक्सली बार-बार निर्दोष का खून बहाने से बाज नहीं आ रहे हैं। जिस ढंग से वे लगातार कायराना हरका कर रहे हैं। इसे मानवता की दृष्टी से कदापि ठीक नहीं कहा जा सकता। जून में नक्सलियों ने करतूत किया, वह मानवता को शर्मशार करने वाला रहा। प्रदेश के अब तक इतिहास में पहली बार नक्सलियों इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया, जिसमें पुलिस कप्तान भी शहीद हो गए। इस दौरान तीन दर्जन पुलिसकर्मियों ने अपनी प्राण की आहुति दे दी। इस घटना के बाद नक्सलियों का हौसला इतना बढ़ गया की वे बीते एक सप्ताह को शहीद सप्ताह घोषित कर दिए और शुरू कर दिए खून से होली खेलना। चार दिन पहले ही कई पुलिस कर्मियों को नक्सलियों ने मार दिया। बावजूद सरकार का रूख अब तक समझ नहीं आ सकी है। अभी मंत्री, नेता कुछ फिन जैसे विधानसभा सत्र में व्यस्त थे। इसके बाद वे माउन्ट आबू के भ्रमण में है। प्रदेश में नक्सली समस्या आग की तरह सुलग रही है और निर्दोष लोंगों की जान जा रही है। सरकार नक्सली समस्या को मिटाने के बजाय फोर्स की कमी बताकर अपनी ख़ुद की कमियों को उजागर कर रहे हैं। नक्सली समस्या से वह क्षेत्र और ज्यादा प्रभावित है, जहाँ विकास की किरने नहीं पहुँच सकी है। नक्सली समस्या आज प्रदेश की एक बड़ी समस्या है। जब कहीं हमला होता है, तो उस आग में पूरा प्रदेश दहलता है। नक्सली आख़िर कायराना हरकत कर जाताना क्या चाहते हैं, यह समझ से परे है। वे केवल आंतंक फैला कर लोंगों को भयभीत करना चाहते हैं। हालाँकि उन नक्सलियों को पता नहीं हैं की ऐसे जवानों के कंधे पर सुरक्षा का भर है, जो अपनी की बाजी लगा देते हैं और लोंगों की जान सुरक्षित रहती है। आख़िर नक्सलियों का यह आंतंक कब तक चलता रहेगा और बीहडों में रहने वाले लोंगों का क्या होगा। उनका विकास कैसे हिगा, यह सोचने वाला कोई नहीं है। इस बारे में चिंतन की जरुरत है।

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