सोमवार, 7 मार्च 2011

‘अभी तो अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है’

वैसे तो महिलाएं सड़क पर उतरकर बहुत कम ही लड़ाई लड़ती हैं, मगर अपनी मांग को लेकर जब नारी-शक्ति अपने पर उतर आती हैं, तो फिर किसी को भी झुकना पड़ जाता है। ऐसा ही कुछ आंदोलन कर रही हैं, नगर पंचायत नवागढ़ की सैकड़ों महिलाएं। ब्लाक मुख्यालय में संचालित शराब दुकान को हटाने नवागढ़ समेत क्षेत्र के कई गांवों की महिलाएं लामबंद हो गई हैं और वे पखवाड़े भर से तहसील कार्यालय के सामने भूूख-हड़ताल करते हुए धरना प्रदर्शन कर रही हैं। अफसरों को हर दिन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के नाम ज्ञापन सौंपा जा रहा है, लेकिन अब तक न तो जिला प्रषासन ने कोई पहल किया है और न ही राज्य षासन ने। हालांकि नवागढ़ की महिलाओं में आस कायम है कि सरकार उनके पक्ष में निर्णय लेगी और नवागढ़ की शराब दुकान बंद होंगी।
जिला मुख्यालय जांजगीर से 25 किमी दूूर नगर पंचायत नवागढ़ में देषी शराब की दुकान संचालित होने के कारण पुरूषों के अलावा बच्चे भी शराब पीने के आदी हो रहे हैं और इसके चलते पारिवारिक माहौल बिगड़ता जा रहा है। घरों में अशांति कायम हो रही है। साथ ही शराब पीने के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही है। इसी बात से बौखलाई महिलाओं ने भूख-हड़ताल के पहले जिला मुख्यालय जांजगीर में नषामुक्ति अभियान के तहत रैली निकाली, जिसमें सैकड़ों महिलाएं शामिल हुईं। यहां कलेक्टर ब्रजेष चंद्र मिश्र को ज्ञापन सौंपकर षराब दुकान बंद कराने की मांग की गई। कलेक्टोरेट पहुंचे महिलाओं से कलेक्टर श्री मिश्र ने कहा कि वे उनकी मांग व समस्या से राज्य षासन को अवगत कराएंगे। इस दौरान महिलाओं का कहना था कि वे हर हालत में नवागढ़ में शराब दुकान संचालित होने नहीं देंगी और वे वृहद स्तर पर आंदोलन के लिए बाध्य होंगी।
इधर नवागढ़ में शराब दुकान हटाने किसी तरह की पहल नहीं होते देख महिलाओं ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया और भूख-हड़ताल करते हुए धरना-प्रदर्शन षुरू कर दिया। तहसील कार्यालय के सामने नवागढ़ समेत आसपास गांवों सिउंड़, किरीत, पोड़ी, ठाकुरदिया, हरदी की महिलाएं धरना-प्रदर्शन में रोजाना षामिल हो रही हैं। इनमें कई महिला जनप्रतिनिधि भी हैं। इनका भी यही कहना है कि क्षेत्र में हो रही शराब बिक्री पर ही प्रतिबंध लगना चाहिए।
महिलाओं के आंदोलन का समर्थन करते हुए राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य श्रीमती शकंुतला सिंह भी धरना-प्रदर्षन स्थल पहुंची और शराब दुकान हटाने की मांग को जायज ठहराया। उन्होंने बातचीत में कहा कि महिलाएं अपनी तकलीफों के कारण आज घर की चाहर-दीवारी से निकल कर धरना-प्रदर्शन कर रही हैं, क्योंकि शराब या फिर किसी भी तरह की नशाखोरी का दंष महिलाएं ही झेलती हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार निष्चित ही पहल करेगी, क्योंकि राज्य सरकार संवेदनशील है और महिलाओं की मांग को ध्यान में रखते हुए सरकार को ‘महिला-दिवस’ पर नवागढ़ की महिलाओं को यह उपहार सरकार को देनी चाहिए। शराब दुकान हटाने महिलाओं के आंदोलन को भाजपा के किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष राजशेखर सिंह समेत अन्य लोगों का भी समर्थन मिल रहा है।

किसी भी सूरत में नहीं खुलेंगी शराब दुकान: कीर्ति
चर्चा में नगर पंचायत नवागढ़ की अध्यक्ष श्रीमती कीर्ति केशरवानी ने कहा कि षराब के कारण महिलाओं को हो रही दिक्कतों व समस्याओं से जिला प्रषासन के अधिकारियांे तथा राज्य शासन को अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा कि शराब एक सामाजिक बुराई है, जिससे सबसे ज्यादा महिलाएं ही प्रभावित होती हैं और यही कारण है कि आसपास गांवों की महिलाओं का भी समर्थन मिल रहा है और वे भी धरना-प्रदर्शन में शामिल होकर आंदोलन भागीदारी निभा रही हैं। श्रीमती केशरवानी का कहना है कि फिलहाल अभी शांति-पूर्ण ढंग से शराब दुकान हटाने की मांग की जा रही है, यदि शासन षराब दुकान हटाने कोई पहल नहीं करता तो फिर महिलाएं सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ेंगी और किसी भी सूरत में शराब दुकान संचालित होने नहीं दी जाएगी। उनका कहना है कि ‘अभी तो अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है’।

कई संगठनों का मिल रहा समर्थन
शराब दुकान हटाने की मांग व आंदोलन को कई संगठनों व जनप्रतिनिधियों ने समर्थन दिया है और धरना-प्रदर्शन में षामिल होकर महिलाओं के प्रयास को सार्थक बताया। महिलाओं ने बताया कि गायत्री परिवार, तहसील अधिवक्ता संघ तथा कई गांवों के लोगों का समर्थन मिल रहा है। पिछले दिनों चांपा के पूर्व विधायक मोतीलाल देवांगन ने भी महिलाओं की मांग को जायज ठहराया और महिलाओं से कहा कि वे अपनी मांग पर अडिग रहें।

शराब की अवैध बिक्री रूके कैसे ?
राज्य शासन ने प्रदेश की 250 शराब दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया है। इसके कारण 2 हजार से कम जनसंख्या वाले गांवों में संचालित जिले की 30 दुकानें आगामी वित्तीय वर्ष से बंद हो जाएंगी, लेकिन सवाल यहां यही है कि आखिर शराब की अवैध बिक्री गांव-गांव में रूकेगी, कैसे ? आबकारी विभाग जहां स्टाफ की कमी का रोना रोता है तो पुलिस यही कहती है कि वे भी कहां-कहां कार्रवाई करे। साथ ही आबकारी अधिनियम भी खामियों के कारण कुछ बोतल शराब के साथ पकड़ाए जाने पर वह शराब बेचने वाला व्यक्ति बच निकलता है। ऐसे में कोई विशेश पहल सरकार को करनी चाहिए।

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