जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर नगर पंचायत नवागढ़ में पिछले बरसों से लाइसेंसी शराब दुकान संचालित है। शराब दुकान के अलावा गलियों में भी शराब की अवैध बिक्री के कारण महिलाओं को जीना दूभर हो गया है। शराबखोरी के कारण घर में अशांति की स्थिति भी बन रही है तो पुरूष वर्ग के लोग अपनी गाढ़ी कमाई शराब के प्याले में लुटा रहे हैं। इसके अलावा कम उम्र के बच्चों को भी शराब की लत लग रही है, जिससे बच्चों का नैतिक पतन हो रहा है और अपराध में भी बढ़ोतरी हो रही है।
इसी बात को लेकर नवागढ़ की सैकड़ों महिलाओं ने शराब दुकान बंद करने की ठान ली और फिर जांजगीर में विरोध प्रदर्शन कर अफसरों को समस्याओं से अवगत कराने का मन बनाया। मंगलवार की दोपहर नवागढ़ की सैकड़ों महिलाएं जांजगीर के कचहरी चौक पर जुटीं, उसके साथ ही सैकड़ों भी थे, जो उनका मनोबल बढ़ाने का काम कर रहे थे। महिलाएं अपने हाथों में तख्ती थामीं जोरदार शराब विरोधी नारे लगाते हुए आगे बढ़ीं। नषामुक्ति महाभियान के तहत महिलाओं ने ‘शराब दुकान हटाओ, छत्तीसगढ़ बचाओ’ जैसे कई शराब बंदी नारे लगाते हुए कलेक्टोरेट की ओर आगे बढ़ीं, महिलाओं की शराब विरोधी रैली विवेकानंद मार्ग होते हुए बीटीआई चौक और फिर कलेक्टोरेट पहुंची। यहां कलेक्टोरेट के गेट बंद होने के कारण महिलाएं सड़क पर बैठकर नारा लगाने लगीं और शासन की शराब नीति को लेकर सरकार को खरी-खोटी सुनाई। इसके बाद महिलाओं के प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर ब्रजेश चंद्र मिश्र को ज्ञापन सौंपा और नवागढ़ में शराब दुकान बंद कराने की मांग की। यहां कलेक्टर ने राज्य शासन को अवगत कराने की बात कही गई, लेकिन महिलाओं का कहना था कि उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे नवागढ़ में शराब दुकान संचालित होने नहीं देंगी।
...तो होगी आर-पार की लड़ाई
महिलाओं की शराब विरोधी रैली की अगुवाई करने वाली नगर पंचायत नवागढ़ की अध्यक्ष श्रीमती कीर्ति केशरवानी ने बातचीत में सीधे तौर पर कहा कि अभी वे अपनी मांग प्रषासन तथा सरकार के समक्ष रखने आई हैं, यदि उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया तथा अगले वित्तीय वर्ष से नवागढ़ में शराब दुकान संचालित की जाती है तो हम महिलाएं शराब दुकान संचालित होने नहीं देंगी, भले ही इसके लिए उन्हें आर-पार की लड़ाई लड़नी पड़े। उन्होंने कहा कि उनके अभियान का यह पहला दौर है और रैली में सैकड़ों महिलाएं षामिल होकर इस बात को बल दिया है कि वे किस तरह से शराब के कारण मानसिक रूप से परेषान होती हैं। श्रीमती केषरवानी ने कहा कि वे एक महिला जनप्रतिनिधि हैं और कई पार्षद समेत लोग अक्सर शराब पीकर नगर पंचायत चले आते हैं, ऐसी स्थिति में कई तरह की दिक्कतें होती हैं। उनका कहना है कि शराब की लत के कारण बच्चे बिगड़ रहे हैं और अपराध भी बढ़ रहे हैं।
चल पड़ा शराब विरोधी रेला
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेष की 250 षराब दुकानों को आगामी वित्तीय वर्ष से बंद करने का फरमान जारी किया है। इसमें उन गांवों को षामिल किया गया है, जिनकी जनसंख्या दो हजार से कम है। दिलचस्प बात यह है कि हाल में जैसे लग रहा है कि षराब विरोधी रेला चल पड़ा रहा है। यही कारण है कि जांजगीर-चांपा जिले के कई गांवों के लोग शराब की अवैध बिक्री से परेषान होकर हर दिन कलेक्टोरेट पहुंचकर अफसरों को समस्याओं से अवगत करा रहे हैं। हालांकि, इन मामलों में किसी तरह की कार्रवाई नहीं होती, यदि ऐसा होता तो गांव-गांव की गलियों में शराब की अवैध मयखानों की संख्या नहीं बढ़ती। पुलिस व आबकारी विभाग के अधिकारी कुछ एक कार्रवाई कर खुद को किनारा कर लेते हैं। इसी के चलते अवैध शराब की बिक्री बढ़ती जा रही है।
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