सवालों से घिरे बाबा रामदेव
शिविर के बाद प्रेसवार्ता में बाबा रामदेव कुछ सवालों का ठीक से जवाब नहीं दे सके और झेंपते नजर आए। बाबा ने कहा कि वीडियोकान कंपनी इस जिले में पावर प्लांट लगा रही है, इसकी जानकारी हमें नहीं है। लेकिन इस शिविर को आयोजित कराकर कंपनी के कर्ता धर्ता संदीप कंवर ने समाज के लोगों के लिए एक अच्छा काम किया है। दानी कई कई प्रकार के होते हैं, सभी की जात, धर्म देखना ठीक नहीं है। कुछेक लोग ही गलत होते हैं। जिसकी सजा पूरे समाज को भुगतनी पड़ती है। बाबा रामदेव ने कहा कि अब आगामी शिविरों में वे पावर व बड़ी कंपनियों से दूर ही रहेंगे। वे लोगों में स्वाभिमान जगाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्हें राजनीति से कोई सरोकार नहीं है, लेकिन वे गलत लोगों से सत्ता छीनने के लिए यह कदम उठा रहे हैं ताकि कोई स्वच्छ छवि का व्यक्ति प्रतिनिधित्व करे।
बाबा रामदेव ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि रिजर्व बैंक से मुद्रा का प्रकाशन करना जितना जरूरी नहीं है, उससे ज्यादा जरूरी अपने देश के रिश्वतखोर व पूंजीपतियों के घर जमा बड़े नोटों को बाहर निकालना है। इसके लिए केन्द्र सरकार को पांच सौ व एक हजार के नोट का प्रचलन बंद कर देना चाहिए। इसके लिए हमने हस्ताक्षर अभियान चलाया है। जिसे प्रधानमंत्री को सौंपकर बड़े नोटों को बंद करने के लिए आग्रह किया जाएगा।
उन्होंने साफ तौर पर कहा वे न तो चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं और न ही प्रधानमंत्री की कुर्सी से उन्हें कोई सरोकार है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पावर प्लांट लगने से कृषि कार्य पर असर पड़ेगा, इस संबंध में वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से चर्चा करेंगे। योगगुरू ने आगे कहा कि पावर प्लांट या कोई उद्योग लगना गलत नहीं है लेकिन पूरे देश व प्रदेश का औद्योगिकरण किया जाना जनजीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही उनके कुछेक कार्यकर्ता व पदाधिकारी गलत हो सकते हैं लेकिन योगगुरू रामदेव अपने लक्ष्य पर चलकर देश से बुराई को मिटाने में जुटे हुए हैं, जिन्हें भौतिक सुख सुविधाओं से कोई सरोकार नहीं है।
बाबा को नहीं चाहिए कोई पद
बाबा रामदेव का कहना है कि उन्हें राजनीति में व्याप्त अपराधीकरण की लड़ाई लड़नी है और वे इसी उद्देष्य को लेकर राजनीति के मैदान में उतरने को तैयार हैं। बाबा रामदेव ने सीधे कह दिया है कि वे साल के अंत तक अपनी पार्टी बना लेंगे और कोई पद नहीं लेंगे। वे छत्तीसगढ़ के कई षहरों में जाकर लगातार इस बात को दोहरा रहे हैं कि देष से भ्रश्टाचार को खत्म करना है और विदेषों में जमा काले धन को वापस लाना है। बाबा यही कहते हैं कि सन्यासी हैं, उन्हें किसी तरह का कोई सिंहासन नहीं चाहिए, बस वे इतना चाहते हैं कि देष के राजनीतिक हालात बदल जाएं और देष में भ्रश्टाचार खत्म हो जाएं। बाबा रामदेव अपनी ध्येय को लेकर आगे निकल तो पडे हैं, लेकिन वे कितना अपने मकसद में सफल हो पाते हैं, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
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