देखा जाए तो देश में एक के बाद, एक भ्रश्टाचार के मामले सामने आते जा रहे हैं। इन घोटालों के चलते यूपीए सरकार और प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह पूरी तरह घिरे नजर आ रहे हैं और विपक्ष के निशाने पर हैं तथा संसद तक 18 दिनों से नहीं चलने दे रहे हैं, वही नीरा राडिया फोन टेप मामले ने भी भारतीय पत्रकारिता में खलबली मचा दी है। पखवाड़े भर पहले जब मीडिया में 2 जी स्पेक्ट्रम को लेकर, ए. राजा को दूरसंचार मंत्री बनाने, लांबिंग करने का जो मामला उजागर हुआ है, उससे पत्रकारिता के शीर्ष ओहदे पर बैठे तथाकथित चेहरे बेनकाब हुए हैं। देश के नामी-गिरामी शख्सियतों के साथ ही कुछ पत्रकारों द्वारा भी नीरा राडिया से बातचीत किए जाने की बात सामने आई है, हालांकि कई पत्रकार, मीडिया से अपनी सफाई में यह बातें कह रहे हैं कि वे केवल, कुछ जानकारियां जुटाने के लिए चर्चा की गई है। यहां सवाल यही है, क्या किसी पत्रकार का यह दायित्व है कि कोई नेता को मंत्री का पद दिलाने लांबिंग करे और उसका नाम हाईकमान को प्रस्तावित करने जैसी बातें करें ?
मीडिया में जो जानकारी आई हैं, उसके मुताबिक नीरा राडिया की बातचीत, प्रमुख रूप से रतन टाटा से हुई है, जिनके कभी वह लॉयजनिंग अर्थात सरकार व मीडिया मैनेजमेंट का कार्य करती रही हैं। साथ ही नीरा, मुकेश अंबानी की कंपनी के लिए कुछ ऐसी ही जिम्मेदारी संभालती रही हैं। खुलासे से वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावल, बरखा दत्त तथा वीर सांघवी से खुले तौर दूरसंचार मंत्री की ताजपोशी और नफा-नुकसान की चर्चाएं इस लहजे में करते, मीडया में फोन टेप इस तरह सामने आया है, जैसे वे उनकी सरकार में व्यापक दखल है। साथ ही वीर संघवी को, नीरा राडिया के कहे अनुसार पत्रकारिता करने जैसी बेहुदा बातें करते भी बताया जा रहा है। फिलहाल नीरा राडिया संबंधी फोन टेप सुप्रीम कोट के पास है। कुछ दिनों पहले रतन टाटा ने यह कहते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी कि फोन टेप की सार्वजनिकता पर रोक लगाई जाए। इस पर कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। हालांकि इस मामले में कोर्ट का निर्णय आना बाकी है।
यहां एक बात और सामने आई है कि आयकर विभाग को नीरा राडिया के बहुत की कम समय में व्यापक धन-राशि होने की खबर मिली, इसके बाद केन्द्रीय प्र्रत्यक्ष कर बोर्ड अर्थात सीटीबीटी से राडिया की आय की जांच की अनुमति मांगी गई। इसके बाद राडिया के फोन टेप किए गए और करीब 3 सौ दिनों तक फोन टेप किए जाने की जानकारी अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट को दिया है। अधिकारियों ने बताया है कि करीब 5 हजार टेप में से 3 हजार टेप ही सुन पाए हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि इन टेपों में से महज 100 टेप ही मीडिया के हाथ लगे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस तरह इन टेपों से ऐसा खुलासा हुआ तो यदि सभी टेपों की बातें जनता के सामने आएंगी तो 2 जी स्पेक्ट्रम में हुए घोटाले में व्यापक खुलासे होंगे और ऐसे कई बेनकाब चेहरे भी बेपर्दा होंगे, जो शीर्ष चेहरे देश ही नहीं, वरन् पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। इधर पत्रकारिता पेशे में लगे दाग से पत्रकारों के बीच अलग-अलग चर्चा हैं, क्योंकि कुछ चेहरे हाईप्रोफाइल हैं।
जिन पत्रकारों के नाम इस घोटाले से जुड़ रहे हैं और नीरा राडिया से बातचीत करने का खुलासा हुआ है, वे लगातार सफाई दे रहे हैं। ये शख्स ऐसे चेहरे हैं, जिन्हें भावी पत्रकार अपने आई-कॉन मानते हैं ? लेकिन यहां हमारा यही कहना है कि पत्रकारिता के आई-कॉन ऐसे चेहरे होते हैं तो इनसे तो तौबा ही करना चाहिए। नीरा राडिया फोन टेप मामले के बाद कुछ पत्रकार, जिन पत्रकारों का नाम आया है, उनका अपने तर्कों व बातों से बचाव करते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि यह तो जांच का विषय है कि दोषी कौन है ? लेकिन इस खुलासे ने पत्रकारिता जगत को शर्मसार जरूर कर दिया है।
मंगलवार, 7 दिसंबर 2010
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