कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गाँधी के पिछले दिनों हुए छत्तीसगढ़ दौरे कई लिहाज से काफी अहम् रहे। उनके लोकसभा चुनाव के बाद यह छत्तीसगढ़ का पहला दौरा था। इस बार वे किसी प्रचार में नहीं निकले थे, बल्कि प्रदेश के कांग्रेस युवा शक्ति को जोड़ने आए थे। उनके इस दौरे से बजन सी पड़ी कांग्रेस की युवा शक्ति में जान आ गई है। युवा संसद राहुल गाँधी के दौरे से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस युवा शक्ति को जैसी संजीवनी मिल गई है।
राहुल बाबा के दौरे से युवक कांग्रेस व एन एस यु आई के कार्यकर्ताओं में उर्जा का संचार हो गया है। राहुल कार्यक्रम में जिस ढंग से युवाओं में उत्साह देखा गया। इसे कांग्रेश की युवा शक्ति की बढती ताकत ही कही जा सकती है।
विधानसभा चुनाव के पहले राहुल गाँधी का टैलेंट हंट चला था, जिसमें कुछ कर गुजरने वाले कार्यकर्ताओं को चुन्हंकित किया। इस बार के उनके यात्रा में वे युवा शक्ति को जोड़ने का प्रयास किया और उन्होंने इसके लिए यूनिवर्सिटी के कैम्पस को चुना। वे जानते हैं की उनके विचारों को कहाँ से नई उड़ान हासिल हो सकती है। राहुल गाँधी ने अपने दो दिवसीय कार्यक्रम में पूरी तरह युवा शक्ति को जागृत करने वाली बातों को फोकस किए।
इस बार उन्होंने प्रदेश प्रभारी होने के नाते एन एस यु आई में नए व उर्जावान चेहरों को सामने लाने नया प्रयोग शुरू किया है। इस बार चलाये जा रहे उनके सदस्यता अभियान में ऐसे युवाओं को ही सदस्यता दी जा रही है, जो कॉलेज में पढ़ते हैं। कुल-मिलाकर राहुल बाबा की सोच ऐसी युवा शक्ति का निर्माण करने का है, जो देश की खोखली हो राजनीती को अपनी ओजस्वी कार्यों से भर सके। उन्होंने यह बात भी कही है की युवा शक्ति ही देश में नया परिवर्तन ला सकता है।
राहुल गाँधी का छत्तीसगढ़ में बिताये दो दिन कांग्रेस की नींव कही जाने वाली एन एस यूं आई को नए सिरे से जीवित करने में अहम् भूमिका निभाई है। कल तक एक भी इनकी गधिविधि देखने को नहीं मिलती थी। अब ये राहुल बाबा के बातों को समझ गए हैं और लग गए हैं, युवाओं की नै ब्रिगेड बनाने।
भले ही राहुल गांघी का विधानसभा व लोकसभा के चुनाव में जादू न चला हो, लेकिन इस बार के उनकी छत्तीसगढ़ दौरे को कमतर नहीं आँका जा सकता। उन्होंने बातों-बातों में कांग्रेस की गुटबाजी को दोनों चुनाव में हार का कारन बताते हुए वरिष्ट नेताओं को एका करने की सम्झायिस भी दे दिए। प्रेस कांफ्रेंस में भी वे छत्तीसगढ़ में लगातार कांग्रेस की हार का ठीकरा वरिस्ट नेताओं के सर फोड़ा। इस बात को नेताओं ने स्वीकार भी। लेकिन क्या प्रदेश में सांप नेवले की तरह गुटबाजी की दुश्मनी रखने वाले कांग्रेसी, क्या रहू गाँधी की बातों पर सबक ले पाएंगे। यदि ऐसा होता है तो फिर राहुल का जादू ही कहा जा सकता है।
फिलहाल सामने में नगरीय चुनाव है। यहाँ भी कांग्रेस की गुटबाजी हावी रही तो समझ जाईये, इस पार्टी का कोई भला होने वाला नहीं है।
समय रहते कांग्रेसियों को संभलना होगा। नहीं तो जनता सब जानती व समझती है और फिर बाहर का रास्ता दिखा सकती है।
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