छत्तीसगढ़ ने जिस तरह विकास के दस बरस का सफर तय कर देश में एक अग्रणी राज्य के रूप में खुद को स्थापित किया है और सरकार, विकास को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है, मगर यह भी चिंता का विषय है कि छत्तीसगढ़िया, सबसे बढ़िया कहे जाने वाले इस प्रदेश में अपराध की गतिविधियों मंे लगातार इजाफा होता जा रहा है। राजधानी रायपुर से लेकर राज्य के बड़े शहरों तथा गांवों में निरंतर जिस तरह से बच्चों समेत लोगों के अपहरण हो रहे हैं तथा सैकड़ों लोग एकाएक लापता हो रहे हैं और पुलिस उनकी खोजबीन करने में नाकामयाब हो रही है, ऐसे में आम जनता के मन में भय बनना स्वाभाविक है। जिनके कंधे पर लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, यदि वही अपराध रोकने में अक्षम साबित हो रहे हैं, तो आम लोग भला किसके पास जाएं। इस नये राज्य में वैसे ही नक्सलवाद के कारण हालात बिगड़े हुए हैं, उपर से आपराधिक घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, लेकिन सरकार को शायद कोई चिंता नहीं है। यदि ऐसा होता तो अब तक राज्य में बेहतर पुलिसिंग तथा आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए नीति बना ली गई होती। प्रदेश में एक के बाद एक अपहरण जैसे गंभीर अपराध की घटना घटित हो रही हैं, लेकिन पुलिस के लंबे हाथ अपराधियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ को बरसों से एक शांत इलाका माना जाता है। राज्य के निर्माण के बाद जिस तरह से विकास की गति तेज हुई है, उसी लिहाज से प्रदेश में दूसरे राज्यों से लोगों का आना शुरू हुआ है। दस बरस पहले के हालात अलग थे और आज अलग है। एक समय रायपुर को अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रमुख शहरों में गिना जाता रहा। छग बनने के बाद राजधानी के तौर पर रायपुर की बसाहट में कई गुना वृद्धि हुई। जाहिर सी बात है कि यहां की आबो-हवा में बदलाव आना ही था तथा छग में आपराधिक गतिविधियों में इजाफा होने से यहां की शांत प्रिय जनता के मन में भय पैदा हो गया है। हाल ही में हुई कुछ घटनाओं से प्रदेश के लोगों का विश्वास पुलिस से उठ रहा है, क्योंकि घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है और प्रदेश की पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
पिछले दिनों राजधानी रायपुर में हुई ब्लास्ट की घटनाओं को लोग भूले नहीं थे कि प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में अपहरण, बलि जैसे गंभीर मामले सामने आने लगे हैं। रायपुर, अंबिकापुर, भिलाई, बिलासपुर समेत जांजगीर-चांपा तथा कई अन्य जिलों में बच्चों, युवतियों एवं लोगों के गायब होने की जानकारी सामने आ रही है। कुछ मामलों में अपहरण के बाद फिरौती की भी मांग की गई। ऐसे कई मामलों में पुलिस की मुस्तैदी नजर नहीं आई। पुलिस केवल खोजबीन करने की बात कहकर अपने दायित्वों से मुंह मोड़ लेती है, यही कारण है कि पुलिस न तो अपहृत लोगों को बचा पा रही है और न ही, उन अपराधियों को पकड़ पा रही है। जांजगीर-चांपा जिले में भी एक आंकड़े के अनुसार करीब 137 लोगों के लापता होने की जानकारी है। इनका पता पुलिस नहीं लगा सकी है, ऐसे में किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इन लोगों को जमीं निगल गई या फिर आसमां खा गया। पुलिस कहती है कि उसका तंत्र मजबूत है, लेकिन यहां सवाल यही है कि जब तंत्र इतना मजबूत है तो फिर कैसे अपहरण जैसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
अंबिकापुर के हृदय विदारक घटना ने पूरे प्रदेश के लोगों को हिलाकर रख दिया है। झारखंड से फिरौती मांगने के बाद बच्चे को जान से मारने की घटना से भी न तो पुलिस जाग पाई है और न ही सरकार। यहां लोगों के गुस्से का सामना पुलिस समेत कई अफसरों को करना पड़ा, क्योंकि लोगों का कहना है कि पुलिस ने तत्परता दिखाई होती तो इस घटना को रोका जा सकता था। इसके बाद आए भिलाई में बच्चे की बलि के मामले ने पुलिस की उपस्थिति पर सवालिया निशान लगा दिया है। रायपुर से अपहृत बालक रोशन की लाश मिलने के बाद लोगों में आक्रोश और बढ़ गया है। प्रदेश में अपहरण के दर्जनों मामले दर्ज हैं और राज्य में सैकड़ों लोग लापता हैं, जिनके बारे में पुलिस पता लगाने में कामयाब नहीं हो सकी है। हालात यह हैं कि लापता होने तथा अपहरण के मामले सामने आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। देखा जाए तो ऐसे हालात, राज्य में हर साल बनते हैं, लेकिन फिर भी सरकार क्यों आपराधिक घटनाओं को रोकने प्रयास नहीं करती ? प्रदेश में गृहमंत्री ननकीराम कंवर अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन राज्य में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ नहीं बनाने उनका ध्यान नजर नहीं आता। इसे विडंबना ही कहा जा सकता है, जब किसी का सपूत, अपराधियों की कारस्तानियों से उनसे दूर चला गया हो, उपर से ग्रामीण विकास मंत्री रामविचार नेता का अंबिकापुर में गैरजिम्मेदाराना बयान आना, इसे निंदनीय ही कहा जा सकता है।
प्रदेश में दिनों-दिन बिगड़ रही कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष भी सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया है। ग्रामीण विकास मंत्री के बयान को कांग्रेस नेताओं ने गलत करार दिया है। अंबिकापुर में हुई घटना के बाद कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष धनेन्द्र साहू तथा नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे, रितिक ( अपहरण के बाद मार दिए गए बालक ) के परिजनों से मिलने गए, यहां उन्होंने प्रदेश के हालात को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। जिस तरह छत्तीसगढ़ में आपराधिक गतिविधियां बढ़ रही हैं, उसके बाद अब लोगों की जुबान पर यह बात भी आने लगी है कि छग, अब बिहार बनने लगा है। उनका कहना है कि कुछ बरस पहले बिहार में अपहरण समेत आपराधिक घटनाएं आम थी, उसी तरह स्थिति अभी छत्तीसगढ़ में बनी हुई है।
इन घटनाओं पर गौर करते हुए सरकार को गंभीर होने की जरूरत है, राज्य की सवा करोड़ जनता के मन में जो भरोसा सरकार के प्रति कायम है, वह कहीं टूट न जाएं। आपराधिक घटनाओं को रोकने पुलिस तंत्र को मजबूत किया जाना जरूरी है, क्योंकि कहीं न कहीं पुलिसिंग में कमियां बरकरार नजर आती हैं, जिसका लाभ सीधे तौर पर अपराध करने वाले असामाजिक तत्व उठा रहे हैं और कई घरों के चिराग को खत्म कर अनेक परिवारों को उजाड़ने का कारण भी बन रहे हैं।
हमारा मानना है कि राज्य की कानून व्यवस्था को बनाने तथा आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को अपने हाथ में लेना चाहिए, क्यांेकि बीते कुछ बरसों से पुलिस विभाग का जो हाल है, वह किसी से छिपा नहीं है। प्रदेश के गृहमंत्री ननकीराम कंवर, नक्सली मामले में इसे राश्ट्रीय समस्या बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, लेकिन प्रदेश में हो रही अपहरण की घटनाएं तो छत्तीसगढ़ से जुड़ी हैं, ऐसे में अब समय आ गया है कि प्रदेश में बेहतर कानून व्यवस्था कायम करने माकूल प्रयास किए जाएं। समय रहते ऐसा नहीं हुआ तो शांतप्रिय माने जाने वाली जनता को कहीं सड़क पर न उतरना पड़ जाए।
रविवार, 28 नवंबर 2010
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