गुरुवार, 3 सितंबर 2009

मनमोहन की भलमनशाहत और भाजपा

भाजपा में आजकल जो कुछ हो रहा है, इससे देश की सबसे बड़ी दूसरी पार्टी एक बार फिर तितर बितर होती नजर आ रही है। पिछले एक माह में जिन्ना को लेकर पार्टी में कोहराम मचा है। इससे पार्टी पदाधिकारियों के विचार को विखण्डित करके रख दिया है। पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के लिखी किताब, जिसमें भाजपा ने आपत्ति दर्ज की है। भाजपा नेताओं के अलग अलग बयान से भाजपा में बिखराव की स्थिति है।
इस बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भाजपा को नसीहत दे डाली की देश की सबसे दूसरी पार्टी में इस तरह बिखराव देश के घातक है। ऐसे में मजबूत विपक्ष की भूमिका नहीं निभ सकती। इसे मनमोहन की भल मन शाहत ही कहें की उनहोंने मजबूत विपक्ष की चिंता की, लेकिन इसके लिए उन्हें भाजपा की और से खरी खोटी ही सुनने को मिली। भाजपा के प्रवक्ता प्रकास जावडेकर ने दो टूक शब्दों में कहा की मनमोहन जी को भाजपा की चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, वे देश की चिंता करें। देश में महंगाई, सूखा तथा फ्लू से लोग परेशान व दहशत गर्द हैं। ऐसे में भाजपा में जो कुछ हो रहा है, यह पार्टी का अंदरूनी मामला है, इसमें किसी की हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह निश्चित ही दिल से साफ व्यक्तित्व के धनि है और उनहोंने जो कुछ कहा, उसमें किसी तरह से भाजपा को ताना देने या फिर जले में नमक छिडकने का भावः नहीं था। ऐसे में भाजपा की और से जो बयान आया, इसे किसी भी सूरत में ठीक नहीं कहा जा सकता। इसे तो ऐसा हुआ जैसे आग भुझाने गया व्यक्ति ख़ुद ही जल जाए। दूसरी और कईयों ने तो प्रधानमंत्री के सलाह को पते में हाथ डालने कहने से परहेज नहीं किया।
इसके पहले समाजवादी के महासचिव अमर सिंह ने भी भाजपा में जिन्ना की पुस्तक के कारन आए बिखराव पर चिंता जाहिर की थी। इस पर भाजपा की और से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी। ऐसे में जब मनमोहन जी ने विपक्ष के टूटते तारों को जोड़ने की बात क्या कही, भाजपा में भूचाल आ गया।
वैसे भी जिन्ना का भूत भाजपा का साथ नहीं छोड़ रहा है। एक साल पहले भाजपा के वरिष्ट नेता लालकृष्ण आडवानी जब पाकिस्तान गए थे। इस दौरान वे जिन्ना के मजार में माथा टेकने गए थे। इसके बाद भाजपा में भूचाल मच गया, लेकिन उन पर गाज नहीं गिरी।
अब जब जसवंत सिंह ने अपनी किताब में जिन्ना को हीरो बनाया। तो भाजपा में आग लग गई। स्थिति यह रही की जसवंत सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अभी भी जिन्ना के भूत ने भाजपा का साथ नहीं छोड़ा है। लिहाजा भाजपा में कलह जरी है और यह कलह थमता नजर नहीं आ रहा है।